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Bhagat Singh Quotes in Hindi
" आज़ादी के लिए हौसलों की मशाल लेकर मै जब—जब निकला दुशमन के घर और सीने कॉपते देखे । "
दोस्तों आज हम बात करेगे 22 - 23 साल के उस नौंजवान की जिसने अपने साथियों से मिल कर जुल्म से सीथी टक्क्रर ली जिसका नाम है सरदार भगत सिंह। सरदार भगत सिंह एक ऐसा नाम जिसे बोलने में और सुनने में फक्र महिसुस होता है, देश भकिती की जीती जागती मिसाल जिस उर्म में हम अपने माता पिता से खिलोने मांगते थे भगत उस उर्म में अपने खोतों में बंदूके उगाने की कोशिश करते थे वो इस लिए की जुल्मी अ्रंगजी सरकार का सामना करके देश को आज़ाद करा सके।
भगत सिंह का जन्म 28 सिंतबर 1907 को सरदार किसान सिंह के घर में हुआ था और उनकी माता जी का नाम Vidyavati Kaur था वो सिंख परीवार से थी और गांव जिला बंगा जिला लायलपुर पंजाब अब पकिस्तान में है।
Shaheed a azam Bhagat Singh Quotes in Hindi
" जब - जब जुल्मी जुल्म ढ़ाते रहेंगेकिसी ना किसी........ रूप में हम आते रहेंगे "
अपने जीवन काल के चलते उन्होने देश भक्ति में ऐसे कई कार्य किऐ पहिले जलियावाला बाग अम्रितशर में हुऐ हत्याकॉड ने उन पर गहरा सदमा डाला, लौहोर के नेशनल कॉलेज की पढाई को छोड कर देश के आजादी के लिए वो देश भक्तों के साथ मिल गए, भगत सिंह ने देश की आजदी के लिए नौजवान साभा की नीव रखी इस साभा में उनके साथी थे।
1 राजगुरू।
2 सुखदेव।
इनके ईलाव और वी इस साभा में सामिल थे वो वही तक ना रूके उन्होने अपना संबन्ध जंद्रर शेखर आजाद की पार्टी हिन्देस्तान रिपब्लिक संस्था से जोड लिए उन्होने अंग्रजी सरकार के खिलाफ अखबार निकाले और उन्हे जनता तक पुहंचाया.
देश की आजादी के लिए जागरूकता फॅलाने के लिए भगत सिंह राजगरू और सुखदेव साइर्स को मारने की योजना बनाई तो चंदर शेखर आजाद ने उनकी पुरी सहायता की थी सरदार भगत ने छोटी उर्म में ही सोच लिया था, कि ऐ अंग्रजी सरकार अहिन्सा से मानने वाले नही इस लिए उन्होने स्थिती के उनुसार के बदलने वाली नीती को अपनाया वेा जलूसों में भाग लेते रहते थे।
के जलते भयानक प्रदशर्न हुआ था लाला जी इस प्रदर्शन के समय हुऐ लाठी चार्च में जख्मी हो गए बाद में उनकी मौत हो गई। उन्होने अपनी जान को देश की आजादी के लिए निशावर कर दी.
लाला जी की शाहदात का बदला लेने के लिए स्काट को मारने की योजना बानाई गई जिसे कोतवाली के बाहर अनजाम देना था पर उसकी जगह साणडर्स बली चड गया भगत सिंह उनके साथी सरकार की अच्छी तरहां से आॅखें खोलना चाहते थे।
भगत के साथीयों ने असैबली में बंम्ब को फैंकने की योजना बनाई इसका मकसद किसी को आहत करना नही था, यह लोग वहां से भागे नही बलकि देश भक्तिी के नारे लगते हुऐ अपने आपको गिफ्रतार करवा लिया, एक तो असैबली केस और दूसरा एक साथी की गद्रारी के कारण साणडर्स केस भी इन सभी पर पडा। शोखर लडते - लडते हुऐ शहीद हो गए और बाकी सुखदेव , भगत और राजगरू को फांसी की सजा सुनाई गई तारीख थी 23 मार्च 1931 वो तीन बंदे वंदे मातरम के नारे लगाते हुऐ मौत की तरफ चढ रहे थे.
अखिर वो वहॉ पहुॅचे यहां वो हमेशा के लिए अपने वतन और वतन वासियों से बिछडने वाले थे तीनों ने आखिरी बार एक दुसरे को गले लगाया फांसी का फंदा चूसा और हमेंशा के लिए दूनिया छोड गए।
देश की आजादी के लिए जागरूकता फॅलाने के लिए भगत सिंह राजगरू और सुखदेव साइर्स को मारने की योजना बनाई तो चंदर शेखर आजाद ने उनकी पुरी सहायता की थी सरदार भगत ने छोटी उर्म में ही सोच लिया था, कि ऐ अंग्रजी सरकार अहिन्सा से मानने वाले नही इस लिए उन्होने स्थिती के उनुसार के बदलने वाली नीती को अपनाया वेा जलूसों में भाग लेते रहते थे।
के जलते भयानक प्रदशर्न हुआ था लाला जी इस प्रदर्शन के समय हुऐ लाठी चार्च में जख्मी हो गए बाद में उनकी मौत हो गई। उन्होने अपनी जान को देश की आजादी के लिए निशावर कर दी.
लाला जी की शाहदात का बदला लेने के लिए स्काट को मारने की योजना बानाई गई जिसे कोतवाली के बाहर अनजाम देना था पर उसकी जगह साणडर्स बली चड गया भगत सिंह उनके साथी सरकार की अच्छी तरहां से आॅखें खोलना चाहते थे।
भगत के साथीयों ने असैबली में बंम्ब को फैंकने की योजना बनाई इसका मकसद किसी को आहत करना नही था, यह लोग वहां से भागे नही बलकि देश भक्तिी के नारे लगते हुऐ अपने आपको गिफ्रतार करवा लिया, एक तो असैबली केस और दूसरा एक साथी की गद्रारी के कारण साणडर्स केस भी इन सभी पर पडा। शोखर लडते - लडते हुऐ शहीद हो गए और बाकी सुखदेव , भगत और राजगरू को फांसी की सजा सुनाई गई तारीख थी 23 मार्च 1931 वो तीन बंदे वंदे मातरम के नारे लगाते हुऐ मौत की तरफ चढ रहे थे.
अखिर वो वहॉ पहुॅचे यहां वो हमेशा के लिए अपने वतन और वतन वासियों से बिछडने वाले थे तीनों ने आखिरी बार एक दुसरे को गले लगाया फांसी का फंदा चूसा और हमेंशा के लिए दूनिया छोड गए।
Shaheed a azam Bhagat Singh Quotes in Hindi
" हमारी मौत को हमारा अन्त ना समझानालाखों तुफान जन्म लेगे हमारे मारने के बाद।"
दोस्तों, भले ही वो शारिरक तौर पे हमारे पास नही पर अगर आज हरेक देशवासी चाहे तो उन्हो अपने आन्दर जिंन्दा कर सकता है। जिसकी आज .....है वो भगत सिंह है हमें जब अंग्रेजों से आजादी की जरूरत थी तब वो शाहिद थे. अगर आज इन नेताओ से आजादी चाहिऐ तो हमें उन शहीदों के नक्शे कदम पर चलना होगा। दोस्तों उन शहीदो के ......को पूरा करने की इच्छा मन में जगाओ एक हो जाओ भारत आजाद करवाओ।
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